Thursday, May 25, 2017

शर्मसार माँ !!

                                                         Image result for mother and daughter at convocation
"Was her Motions Smooth"? डॉक्टर ने रीमा को चेक करते हुए पास में खड़ीं उसकी मां से पूछा।
2 मिनट तक जब कोई जवाब नहीं आया तो  एक नर्स ने उन्हें हिंदी में मतलब समझाया। 
" जी !! ऐसी तो कोई शिकायत नहीं की रीमा ने।" मां ने प्रतिउत्तर किया।
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"She is so good in Dance!! Why don't you encourage her to to look forward her career in it." पेरेंट्स टीचर मीटिंग में जब रीमा की टीचर ने उसकी माँ से कहा तो सामान्यवश उन्हें रीमा की तरफ देखना पड़ा कि उनके कहने का तात्पर्य क्या था।
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कभी अस्पताल में,कभी स्कूल में,कभी पार्टी में,ऐसे कितने ही अनगिनत किस्से होंगे जहां रीमा की माँ को किसी अंग्रेज़ी बोलते हुए आदमी की बात "काला अक्षर भैंस बराबर" लगती लेकिन वो अपने आस पास खड़े किसी व्यक्ति की मदद से उसे समझ लेती या बोलने वाले को हिंदी में उसे बोलने का निवेदन कर लेती। रीमा की स्कूल और कॉलेज की सहेलियों के सामने या टीचर्स के सामने,उसके पिता की बड़ी पार्टियों में या फिर किसी सामाजिक फंक्शन में, जानकी को कहीं ना कहीं गांव में पले बढ़े होने का और काम पढ़े लिखे होने का खामियाजा भुगतना ही पड़ता था। यहां तक कि पतिदेव खुद जाने अनजाने कितनी बार उनका तिरस्कार कर जाते लेकिन वो मुस्कुराहट में अपनी उदासी छुपा लेतीं।  
रीमा की माँ , जानकी,बहुत सुलझी हुई औरत थी। अपना पूरा जीवन उन्होंने अपने परिवार की खुशियों के लिए जिया। एक बहुत छोटे से गांव के मास्टर जी की 10वीं पास बेटी की शादी उस वक़्त एक वकील ,जो अब  हाई कोर्ट जज है  उनसे तय हुई। जिस उम्र में आज के बच्चे ब्रेक अप और पैच अप का मतलब सीखना शुरू करते हैं,वो अपने दाम्पत्य जीवन में पूरी तरह से उतर चुकी थीं। पति के बड़े बेटे होने के नाते और सास के कम उम्र में ही निधन हो जाने के कारण घर की ज़िम्मेदारी अकेले और बहुत कुशलपूर्ण तरीके से निभाई थी उन्होंने। सब देवर और ननदों को अच्छे से पढ़ा लिखाकर उनकी शादी करवाकर उन्हें एक नया जीवन दिया था उन्होंने।
बस अब एक बेटी थी जिसकी पढ़ाई चल रही थी ,वो भी MBA लास्ट ईयर। यूँ तो उसके लिए भी वो लड़के देखती रहती थी पर उन्होंने कभी भी रीमा पर शादी करने का कोई दबाव नहीं बनाया। उन्होंने उसे यही कह रखा था कि अगर वो पढ़ाई के बाद नौकरी करना चाहती है तो करे, वो उसे शादी करने के लिये मजबूर नहीं करेंगे।
बचपन से लगाकर अब तक ,कभी भी रीमा पर किसी तरह की कोई दकियानूसी पाबंदी नहीं लगाई गई, कारण, जिस सोच के कारण आज जानकी नहीं पढ़ पायी थी उस सोच का शिकार उसकी बेटी ना हो। उसने ज़िन्दगी भर एक बड़े अफसर की कम पढ़ी पत्नी का अपमान सहा था,सो वो नहीं चाहती थी उसकी बेटी को किसी भी तरीके की आलोचना सहनी पड़े। वो समाज में सशक्त और स्वावलंबी नारी के रूप में उभरे, यही उनका ध्येय था।
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आज रीमा के कॉलेज में " Convocation Ceremony" थी। रीमा ने कॉलेज टॉप किया था और साथ ही उसे " बेस्ट डांसर" के खिताब से भी नवाजा जाने वाला था। सेरेमनी में स्टूडेंट्स के माता पिता और परिवार वाले भी आमंत्रित थे। रीमा के माता पिता भी आये। फंक्शन शुरू हुआ। अलग अलग सांस्कृतिक कार्यक्रमों के बाद पुरस्कार वितरण समारोह शुरू हुआ। रीमा को कॉलेज में प्रथम आने के लिए पुरस्कार मिला। रीमा स्टेज पर गयी। राज्यपाल महोदय से सम्मानित होकर वो माइक के पास आई और बोली,
" Thankyou God for giving me this opportunity and all my teachers,friends and parents , I owe this to you all......लेकिन एक इंसान है जिसके बिना आज ये पॉसिबल नहीं होता .... माँ.... ये सिर्फ आपके लिए( मां की तरफ ट्रॉफी को ऊंचा करते हुए) ।
आपने ही सिखाया,जीत किताबों की नहीं मेहनत की मोहताज़ होती है। 
आपने ही बताया की अपने निर्णय खुद लेने की क्षमता को ही असली एजुकेशन कहते हैं,एजुकेशन किसी डिग्री की मोहताज़ नहीं।
ज़िन्दगी के हर अपमान को हंस कर पी जाना और हमेशा मुस्कुराते रहना आपने ही सिखाया मां, खुशी किसी पद और पोस्ट की मोहताज़ नहीं।
ये ट्रॉफी मुझे नहीं आपको मिलनी चाहये क्योंकि इसकी असली हक़दार आप हैं माँ... Thankyou for gifting me Myself."
सदन तालियों से गूंज रहा था।राज्यपाल महोदय ने स्वयं जानकी को स्टेज पर आने को कहा और सम्मानित किया। पूरा कॉलेज उन्हें सम्मान  भरी निगाहों से देख रहा था।जानकी के पति भी अपने द्वारा किये तिरस्कारों को तालियों की गूंज में छुपाने की कोशिश कर रहे थे शायद। पूरी उम्र शर्मसार हुई एक औरत को एक गर्वान्वित मां ने हरा  जो दिया था आज।

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