Saturday, January 11, 2020

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Friday, July 27, 2018

यादों का पिटारा

दफ़न सा कुछ अंदर ,सुकून नहीं देता
उछलता है इस कदर ,मरने भी नहीं देता


क्या हो तुम जो इस तरह मुझे समेटे हो
परत दर परत ,बस गहरे हो ,गहरे हो


मायूसी का कारण कभी ,कभी बंद जुबां का
बन जाओ लावा कभी ,कभी सिर्फ धुंआ सा


मकसद तो बतलाओ अपने वजूद का
ख़त्म करने मुझे या और तराशने को बैठे हो
बुझा देने मेरे आग -ऐ -जूनून को
या भड़का देने मेरे सब्र को बैठे हो


हारने लगी हूँ अब तुम्हे हराते हराते
अब बहुत हुई जुंग
छोडो मेरा दामन ,हट जाओ परे
सबसे;मेरे ख्याल और मेरा ज़हन


तलाश है मुझे अपने आप की
ना चाह तुम्हारे नाम की
खोजने दो अब मुझे मेरे मुकाम खुद -ब -खुद
पा लेने दो नए आयाम


ये " यादों का पिटारा " कबाड़ में बेंच आऊं

चाहे ना कोई दे इनका कुछ दाम

-श्वेता व्यास 

Tuesday, July 4, 2017

I Am Mom..But You Are Not Dad!!

                                        Image result for sad mother
Once a mother ,forever a mother ...Very true....but Once a father , forever a father!!! A big No!! Atleast not for me. It's been 4 years of our marriage and I am viewer of transformations like late night romantic candle night dinners to "ghar par hi kuch bana lo naa plz " throngs( even when I m not so well),long drives in monsoon to "arey bachche ke saath pareshaan ho jaate hain baahar", Coffee in CCD to "chai aur banaa do plz ek" and so on...Goes on...

Change is beautiful but not this one. Our son has changed our lives in every aspect. He is the one who taught me so many things in past one year and I am still his student , why Motherhood is called the most blessed phase of life,he made me realised that. I never regret leaving up my career for him because the salary in form of such a pure and unconditional love from him is worth and compensating;more than expectations. But is this the case with our Mans too?? I Doubt!!!
Why I intended to write over this have been inspired rather I would say from my own sufferings and experiences. 
It's not been once,several times I realise being mum I silently skip over significant things  from my daily doings adhered to fitness,hobby, daily chores or nothing but a Me time , while nurturing baby in some way or other but It didn't seem to have much affected Papa's life. 
Weaning process is undergoing now a days and it's really becoming a tedious task to do especially during nights. It's not so easy as read or heard by others. Tapping down his back for 2 hours after taking him on shoulders for nearly half an hour and continuously humming around ,must not be so easy task down. Expecting husband to take baby for few minutes after his 9 hours service to boss including traffic fatigue,is just like asking for water in desert. Even if you dare,you would be served with all the office tantrums they gone through out the day and how I can't understand that just because I stay at home living all luxuries and facilities. Hence, tapping is more easy.
There are many cases where I missed the opportunities to attend social gatherings ,events,functions,dance practices,women parties just because either the time is not suitable or kids are not allowed there for some reason. But we people never regret that and accept the fact that everyone suffers this phase and after all opportunities never ends. But the joy of having this if your spouse support you,works as a cherry on the top of cake. It's in these ways perhaps when you become a parent from a mother or father.
Another one,Weekends gave me opportunity to take some classes for competitive exams in a coaching centre near by. I approved for the proposal because my husband has weekends off and It would be beneficial for me too in future to be in touch with my subjects and scope of self grooming too would improvise. It was my first class that day.I almost finished up at right time and my husband called me up that he would be dropping our son to some relatives house( who stays in our society) as he had to attend a sudden get together which their college friends has planned somewhere. I would have told Him not to do so if he would have given chance me to speak at least. When I tried to Grimm over him for his act in the evening ,when he returned,his words shut my mouth and  my mind that day..."Arey mjhe bhi to thoda  time chahye naa khud ke liye...Thoda saa free hua aur tum Kush ko mere paas chhod gayi"....
I couldn't answer his question...Rather I didn't wanted to. Whether This was fight for "Me time " or this is a sedimented mind set of males in our society that we have been crowned for" looking after baby task" whatever be the condition is and can never put back this at second priority (though they might do it)....They work,they earn,they have been sitting on the chair of thorns in office bearing many pressures,they take care of financial needs of their family,they hear their mother's pain of bringing an inappropriate bahu to the family and so many responsibilities they handle. How can I ask him for just a 2 hours a week for myself. How can he compromise with his sleep to make me comfortable and easy. Isn't he is earning and fulfilling all our dreams, materialistic dreams ,,enough for us to be happy and cheerful . Why should he prepare a lunch for me on Sundays to make me feel special.,it's his holiday after all. Why should he take care of baby whole day on Sunday ,after all he is too tired to do so after working 5 days so fiercely. And finally what would I do If he would look after baby????
This is true incident from which my friend is suffering these days. Her call in  morning made me pen down her emotions in this write up. Hope many of you could relate and all husbands who don't realise what their small lovable actions could bring sanctity to a relation may also change their perspective after having a read.

हम साँवले ही ठीक हैं!!

                                             Image result for lisa haydon
" लड़की का रंग थोड़ा साफ नहीं है"
" गोरा रंग तो लड़कियों की खूबसूरती है"
" हमें तो हमारे बेटे के लिए गोरी,सुंदर और कामकाजी लड़की चाहये साहब!!"
ये कुछ ऐसे वाक्य हैं जो हम हमारे आसपास कहीं ना कहीं सुन ही लेते हैं,कहीं बाहर जाने की भी ज़रूरी नहीं पड़ती,घर में ही कोई ना कोई गोरेपन को सुंदरता से जोड़ता हुआ मिल जाता है। 
माँ बचपन से ही मुल्तानी मिट्टी का उपयोग करने को क्यों बोलती थी,ज़माने की इस सोच से बेखबर मैं ,अब समझ पायी हूँ। रंगभेद,Colour Discrimination या Racism हर जगह किसी ना किसी रूप में देखने को मिल ही जाता है। बचपन में भी किसी ना किसी रूप में मेरे रंग को लेकर दूसरे बच्चों में मेरी टांग खींची जाना या मज़ाक बनाया जाना बहुत सामान्य सी बात थी,शायद आप लोगों ने भी कभी ना कभी सहा होगा।
लेकिन मैं जैसे जैसे बड़ी हुई,एक बात समझ में आयी कि मैं बुरी नहीं दिखती बस कुछ दूसरों से कुछ कम अच्छी दिखती हूँ। जी मतलब!! खूबसूरती हमेशा तुलनात्मक मापदंड पर देखी जाती है। जब मैं मुझसे सांवली लड़की के साथ खड़ी हूँ तो मैं लगभग गोरी के बराबर हूँ और जब करीना कपूर के साथ,तो काली। और मेरा मानना ऐसा है कि इस चीज़ का ज़्यादा फ़र्क़ भी नहीं पड़ता। सबके पास कुछ ना कुछ तो होता ही है खुद पर गर्व करने के लिए। कोई बुद्धिमान है तो कोई बहुत सुंदर,कोई लिखता बहुत अच्छा है तो कोई खेलता,कोई पाककला में निपुण तो कोई व्यवहार कुशल। और कोई भी अपनी कला को अपने साथ कब्र तक नहीं लेकर जाएगा,अलावा अपने कर्म के, तो फिर किस बात का घमंड।
"और जो आपकी टांग खींचकर आपको नीचे लाना चाहते हैं वो एक बात तो सिद्ध कर ही चुके हैं कि आप उनसे ऊपर हैं"- Anonymus
तो अगर आपके सांवलेपन की वजह से कभी आपने किसी भी तरह के भेदभाव का अनुभव किया है या किसी ना चाहने वाले experiences से आपको गुज़रना पड़ा हो तो ये लेख आपके लिए ही है। अपने रंग पर गुमान करने के लिए और अभी के अभी अपनी 'फेयर एंड लवली' करने वाली सारी creams को कचरापात्र में डालने के कुछ कारण जो मेरे पास है वो ये हैं:
1. सांवला रंग आपको जवान बनाये रखता है
जी हां!! एक वैज्ञानिक तथ्य के अनुसार,डार्क स्पॉट्स और झुर्रियां ,सांवली त्वचा पर कम असर करती है या नज़र आती है जितनी गोरी त्वचा पर। परिणामस्वरूप,साँवले लोग ज़्यादा समय तक जवान दिखते हैं।
2. सूरज की किरणों से बचाती है सांवली त्वचा
हमारी चमड़ी का रंग काला होने का कारण एक बायोलॉजिकल कंपाउंड Melanin  है।मेलेनिन कैंसर फाइटर है जो हमे सूर्य की नुकसानदायक किरणों से बचाता है,अलग अलग चर्म रोगों से बचाता है और हमारे शरीर को एक प्रोटेक्टिव लेयर प्रदान करता है। 
3. Glossy Cream बाय बाय!!
सांवली त्वचा में अपने आप में एक चमक और निखार होता है तो हमें उसे चमकाने के लिए किसी भी तरह की ग्लॉस संबंधित प्रोडक्ट की आवश्यकता नहीं होती।
4. दूध का दूध,पानी का पानी!!
जी! हम अगर ऐसे लोगों से घिरे रहें जिनके सामने हम वो नहीं बता सकते हैं जो हम असलियत में हैं तो ज़िन्दगी जीने का मज़ा नहीं आएगा। आवरण के साथ जीना,ज़िंदादिली नहीं है। अगर हम जैसे हैं वैसा ही हमें अपनाया जाए तो हम धीरे धीरे सच्चाई से वाकिफ होते जाते हैं और सच्चे लोगों से भी। तो सांवलापन मेरी सच्चाई है और मुझे इसके साथ अपनाने वाले मेरे सच्चे मित्र।
5. Skin Damage??? ये क्या होता है!
जी हां!! साँवले रंग की त्वचा पर हमारे चेहरे पर होने वाले किसी भी नुकसान जैसे टैनिंग,स्कार्स आदि का प्रभाव कम पड़ता है और दिखता भी कम है वनिस्पत गोरी त्वचा के। तो हमें एजिंग और स्कार्स जैसे परिणामों की परवाह करने की अवश्यकता नहीं।
तो अगली बार कभी कोई आपको आपके सांवलेपन या कम गोरे होने पर हिदायत दे या कोई नसीहत दे तो गर्व से इन बातों से उन्हें भी अवगत कराएं।माँ की सुंदरता उसकी ममता में,लेखक की सुन्दरता उसके शब्दों में,खिलाड़ी की सुंदरता उसके खेल में,एक्टर की सुंदरता उसके नाट्य में,चित्रकार की उसकी चित्रकारी में.......
 रंग का ख़ूबसूरती से कोई लेना देना नहीं,मन और कर्म की सुंदरता व्यक्ति को सुंदर बनाती है और वही सुंदरता उससे जुड़े हुए लोगों को भी।
                                                               ****सभी सांवली सुंदर  महिलाओ को समर्पित*****

Thursday, June 8, 2017

और फिर कोई दफन हो गया!!

                                                           Image result for sad indian  bride
कल प्रिया की शादी का कार्ड देखा तो अचानाक उसकी छवि आंखों के सामने आ गयी।

प्रिया,मेरी बहुत अच्छी सहेली और सबसे अलग और अलौकिक व्यक्तित्व, शांत सुलझी समझदार,क्या क्या विश्लेषणों से उसे आपसे मिलवाऊं। कभी कभी उसे देखकर ईर्ष्या होने लगती कि कोई इतना अच्छा कैसे हो सकता है। ईश्वर ने हर आदमी को अपने आपको संतुलित करने के लिए किसी ना किसी कमी से नवाजा है पर प्रिया इस मापदंड पर खरा नहीं उतरती।सब कुछ इतना परफेक्ट कैसे कर लेती है। पढ़ाई में अच्छी होने के साथ,खेलकूद,अपनी कलाओं में निपुण तो थी ही,सबसे अच्छी बात,एक अच्छी इंसान थी।मानवता उसमे कूट कूट के भरी थी। प्रेम,हास्य और प्रतिभा का ऐसा मेल बहुत कम ही देखने को मिलता है।
शादी में जाना तय हुआ। सैंकड़ो सवाल और खुशी।आखिर कौन खुशनसीब होगा जिसके भाग्य में प्रिया होगी। धन्य हैं वो माता पिता जिनकी प्रिया जैसी बेटी है। शादी में एक दिन पहले ही पहुंच गई मैं। नज़रें प्रिया को ढूंढ रही थीं। माताजी से मिली तो उन्होंने बताया प्रिया का कमरा ऊपर है वो वहीं है।
"प्रिया!!!,Congratulations!!! बहुत खुश हूं मैं तेरे लिए!!"कहते हुए मैंने उसे गले से लगा लिया।
वो गले तो लगी पर एक दुल्हन वाली चमक गायब थी चेहरे से।वो मुस्कुराई तो मुझे देखकर पर वो गर्माहट जो उसके मुस्कुराने से सामने वाले को बिखेर दे,वो गायब थी। प्रिया उन लड़कियों में से भी नहीं थी जो शादी की वजह से होने वाली Anxiety से प्रभावित हो जाये। मेरे मन में कुछ ठनका। क्यों उसकी नज़रों में आज वो तेज नहीं।
"क्या बात है प्रिया? कुछ परेशान हो?? साफ साफ मैंने उससे पूछा।
बहुत ज़्यादा ज़ोर देने के बाद उसने मुझे बताया। 
कॉलेज के पहले साल में वो एक लड़के से दोस्ती कर बैठी जो तीसरे साल तक प्यार में बदल गयी। उसने बहुत रोकने की कोशिश की खुद को की वो उस संबंध को वहीं तोड़ दे लेकिन उससे नहीं हुआ।वो करन(जिस लड़के से प्रेम करती थी)की अच्छाइयों की तरफ खींची चली गयी। कॉलेज के कुछ लड़कों के छेड़ने पर अकेला करन ही था जिसने उसके लिए लड़ाई की थी। एक दोस्त की नज़र में बिल्कुल सही बैठता नज़र आता था।औरतों की इज़्ज़त करना,स्वाभिमानी होना,ये सब बातें प्रिया को खींचती चली गयी उसकी तरफ। कॉलेज के लास्ट ईयर ,जब करन और प्रिया दोनों ने अपनी पूरी ज़िंदगी साथ बिताने का तय किया,बात आई माता पिता को मनाने की। करन के मान गए पर प्रिया के माता पिता ने बवाल मचा दिया। केवल प्रिया के ज़िक्र करने पर ही घर में इतना बड़ा बवंडर खड़ा हो गया। ना जाने कैसे कैसे उलाहने देने लगी प्रिया की माताजी। छोटे भाई बहन ने भी बात करना कम कर दिया। करन ने फिर भी प्रिया को हिम्मत दिलाई और कहा शुरू में ऐसा होता है और हम हार नहीं मानेंगे प्रिया। सब लोग मान जाएंगे आखिर में। भाग कर शादी करना या बगावत करना,दोनों के उसूलों के खिलाफ था इसलिए माता पिता को मनाने के अलावा कोई और रास्ता नहीं था। 
प्रिया का परिवार बहुत ज़्यादा दकियानूसी सोच का था। शुरू से ही घर से ज़्यादा बाहर ना निकलना,सही ढंग के कपड़े पहनना, फिल्में ना देखना,लड़कों को दोस्त नहीं बनाना बहुत सामान्य से पालन किये जाने वाले नियम थे प्रिया के घर में। समाज के लोग में हमारी क्या इज़्ज़त रह जायेगी,इस सवाल ने पूरी ज़िंदगी बर्बाद कर दी थी। खैर!! प्रिया ने ऐड़ी चोटी का जोर लगा दिया लेकिन उसके मां और पिता कुछ भी सुनने को तैयार नहीं थे। वो लोकलाज के आगे अपनी बेटो की खुशी नहीं देख पा रहे थे। उसके आँसुओ का इन् पर कोई असर नहीं हो रहा था। जिस बेटी ने उनकी एक बात आज तक नहीं टाली, उनके हर कहे को सर्वस्व माना,अवज्ञा नहीं की कभी,घर से दूर पढ़ाई करने के बावजूद भी उनकी नामौजूदगी का फायदा नहीं उठाया और वो सब कुछ किया जो आज के समय के बच्चों के करने का बस तक नहीं,उसकी खुशी आज उनके लिए कोई मायने नहीं रखती।
प्रिया के बहुत जोर देने पर पहले उन्होंने प्यार से फिर फटकार से समझाया और अंत में उससे बिना पूछे समाज के एक प्रतिष्ठित परिवार में उसका रिश्ता तय कर दिया।
बेबस प्रिया कुछ नहीं कर पाई। करन के अपने माता पिता के साथ प्रिया के घर आकर उन्हें समझाने का भी कोई फायदा नहीं हुआ और उन्हें बेज़्ज़त होकर घर से जाना पड़ा। हालांकि करन पर इस बात का कोई प्रभाव नहीं पड़ा।वो लगातार प्रिया को ढांढस बंधाये हुए था। पर सब कोशिशें बेकार हो गयी। आखिर उन दोनों को हार माननी पड़ी,
हार गए वो समाज की इस सोच के आगे कि लव मैरिज अपराध है। हार गए वो अपने माता पिता की सोच के आगे कि लड़की अपना वर खुद नहीं चुन सकती,अगर वो प्रेम विवाह करती है तो उसे समाज अच्छी नज़र से नहीं देखता।
ये कैसा ढर्रा है हमारे समाज में जहां जीवन साथी चुनने का अधिकार नहीं हमें। हम अपनी ज़िंदगी का सबसे बड़ा फैसला खुद नहीं कर सकते। समाज में इज़्ज़त के नाम पर कितने अरमानों का गला घोंट दिया जाता है।या तो इमोशनल प्रेशर देकर माना लिया जाता है या ज़बरदस्ती शादी करवा दी जाती है या डरा धमका कर चुप कर दिया जाता है। बड़े शहरों में तो सोच में खुलापन आम बात है पर छोटे कस्बे और गांव में हालात बहुत पिछड़े हुए है अब तक। शिक्षा का अर्थ ही क्या जब हम ऐसे फ़िज़ूल पारंपरिक प्रतिरूप से बाहर ना निकल पाएं। 
प्रिया के माता पिता खुद पढ़े लिखे और समाज में प्रतिष्ठित परिवारों की गिनती में आते हैं पर मैं माफी चाहूंगी अगर हम हमारे बच्चों की खुशी और उनके निर्णयों में उनके साथ खड़े नहीं हो सकते तो हमारे समाज में इस प्रतिष्ठा का भी कोई खास सरोकार नहीं। भेड़ चाल से हटकर अगर हम कोई बीड़ा उठाने की हिम्मत करते हैं,अपनी बच्चों के लिए दुनिया से लड़ सकते है ,उनकी आंखों में वो चमक लौटा सकते हैं,उनके फ़ैसलों में उनका साथ निभा सकते हैं,समाज का बना बनाया ढांचा तोड़ सकते हैं,अपने बच्चों को कुरीतियों के खिलाफ खड़ा होना सीखा सकते हैं, तो ही हम सही मायने में माता पिता का फर्ज अदा करते हैं वरना तो ये "झूठी इज़्ज़त" का आवरण हमारे ही बच्चों के अरमानों का गला घोट देगा और हम मुस्कुरा के तमाशा देख रहे होंगे।

मेरे पति.... एक बिगड़े बच्चे!!!

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मुम्बई की बारिश!! मानसून वाली तो नहीं है पर हां अभी गर्मी से राहत दिलाये हुए है और मेरे मन मस्तिष्क की तरंगों को शब्दों में पिरोने का कारण बने हुए है। बारिश का सीधा संबंध प्यार से जुड़ जाता है और प्यार शब्द आते ही पतिदेव की याद आ जाती है और इनकी याद आते ही...........शाम को खाने में क्या बनाओ ये याद आ जाता है😉😂 ऐसा नहीं है,Unromantic होने का लाँछन तो नहीं लगा सकती अपने पति पर क्योंकि शादी के 4 साल के बाद भी उनके प्यार को दर्शाने के तरीकों में कोई बदलाव नहीं आया है भाग्यवश, लेकिन उनके बचपन से घर में रहने के Side effects मुझे अभी भी झेलने पड़ते हैं कहीं ना कहीं!!

जी! मैं एक छोटे कस्बे से तालुक्क रखती हूं तो मुझे स्कूल खत्म करते ही आगे की पढ़ाई के लिए घर छोड़कर बाहर हॉस्टल में रहना पड़ा। बहुत मुश्किल था वो समय मेरे लिए। खास तौर पर माँ के बिना रहना। मेरी उन् आदतों का क्या होगा जो कभी उसने सुधारी ही नहीं,मेरे बाल बनाना,रोज़ की मेरी स्कूल के किस्से सुनना, आते ही निम्बू पानी देना,बालों में तेल डालना और ना जाने क्या क्या। ये सब तो मुझे उससे जोड़े रखता है,वहां हॉस्टल में कौन करेगा ये सब। शुरू में कठिन था लेकिन आज सोचती हूँ तो लगता है, उन 7 सालों में ली कितनी सीख आज मेरे जीवन को कितना सरल और सुलझी हुई बनाती है।
• Adjustment : सबसे पहला शब्द जो घर के बाहर कदम निकालते ही सीखा। शोर में भी पढ़ना सिखा दिया होस्टल के उस छोटे से कमरे ने। बिस्तर शेयर करना सिखाया था उस छोटे से बेड ने। रूममेट को डिस्टर्ब किये बिना उठना सीखा दिया उस घड़ी के अलार्म ने।
वहीं दूसरी ओर मेरे पति। घर से ही कॉलेज की पढ़ाई की तो उनकी माता का संरक्षण हमेशा उनके पास रहा। इनके कॉलेज जाने के टाइम पर कोई बाथरूम में नहीं जाता। इनके पढ़ने के टाइम कोई TV नहीं चलाता। एग्जाम के टाइम तो मानो मातम सा छा जाता था घर में!!!😂 आज भी उनके आफिस के काम के बीच कोई आ जाये तो बेचारे को उनके कोप का भाजन बनना पड़ जाता है।
• Compromise : हां!! ये शब्द के मायने भी मैंने सीख लिए थे हॉस्टल में। जब हम कुल 150 लड़कियों के साथ रहते हैं जो कहीं ना कहीं हर तरीके से हमारे जैसी ही हैं, तो उनके साथ संबंध बनाने के लिए कभी झुकना पड़ता है तो कभी प्यार से समझना पड़ता है,कभी रूठे को मनाना पड़ता है तो कभी सच और सही के लिए विद्रोह करना पड़ता है लेकिन हां Compromise हर जगह अपनी एक अहम भूमिका निभाता है चीजों को सरल और सौहार्दपूर्ण बनाने में। पतिदेव ने ये शब्द थोड़ा थोड़ा शायद शादी के बाद ही सीखना शुरू किया😅 क्योंकि उनकी परम पूज्य माताजी ने इसकी परिभाषा सीखने का मौका ही नहीं दिया।
• Self Dependence : अपने कपड़े खुद धोना,बालों में तेल लगाना,अपनी फीस का काम बैंक में जाकर खुद करना,अपनी खाने पीने की व्यवस्थाओं का ध्यान रखना,साफ सफाई यहां तक कि नए नए दौर में जब आपके ज़्यादा दोस्त नहीं बने होते तब अपनी तबियत का ख्याल भी खुद ही रखना होता था। अपना काम खुद करने की एक बुरी सी आदत डाल दी थी होस्टल नें जो आज भी कमबख्त पीछा नहीं छोड़ती। सही सोचा अपने...पतिदेव बिल्कुल विपरीत... अपने हर छोटे मोटे काम के लिए हम पर निर्भर। पहले माँ और अब मैं। अगर मैं रात को बाथरूम में उनके कपड़े रखना भूल जाऊँ तो आफिस के लिए लेट होने का इल्ज़ाम मुझ पर। मेरे बहुत कोशिश करने पर अब उनमे थोड़े बहुत बदलाव आए हैं पर फिर भी हर छोटी ज़रूरत के लिए किसी को पूछना पड़ता है... कारण...आदत। जी बचपन से बिना कहे ही जब काम हो जाये तो बात ही क्या और इसका पूरा श्रेय मेरी सासु माँ को जाता है।
 • Decisive: जब हम अपने घर से दूर होते हैं हमारे रोज़मर्रा के जीवन से जुड़े छोटे छोटे फैसले लेने में सहयोगी साबित होता है हमारे घर से हमारा दूर रहना। क्या चीज़ का सही दाम कितना है और पैसों की अहमियत झट से समझ आ जाती है जो कभी घर पर समझ नहीं आयी थी। महँगे कपड़ों की जिद्द करना भूल गयी मैं,हॉस्टल से जाने के बाद। पतिदेव भी decisive हैं,लेकिन केवल कुछ मुद्दों में। बाकी हमारी सासु माँ से एक बार डिसकस किये बिना उन्हें चैन नहीं पड़ता चाहे वो घर में कोई सामान लाने की बात ही क्यों ना हो।
अब आप सोच रहे होंगे,ये मुद्दा क्या है,कहना क्या चाहती हो,ये क्या हॉस्टल और घर से पढ़ने वालों के बीच कोई comparison है? ....नहीं !! उदाहरण में चाहे मैंने अपने बेचारे भोले भाले पतिदेव को खींच लिया हो और केवल हॉस्टल और घर से पढ़ाई का ही तुलनात्मक विश्लेषण किया हो लेकिन सीधे सीधे शब्दों में बात है स्वावलंबन की। हाँ!! वो गुण जो हमारे बच्चों में हमें सबसे पहले डालना चाहये चाहे वो हमारे पास रहते हो या नहीं। खुद पर भरोसा करने का काम जिस दिन उन्हें आ जायेगा,उनके पंखों को फैलने से कोई नहीं रोक पायेगा। Self Dependence,Decision making power,Compromise ,Adjustments वो छोटे छोटे बीज है जो बच्चों के मूल्यों की जड़ों को मजबूत बनाती है।
• अपने बच्चों को आत्मनिर्भर होना सिखाएं। अपनी भौतिक मूल आवश्यकताओं के लिए वो हम पर निर्भर ना रहें। और ये जितना जल्दी शुरू हो उनके लिए उतना अच्छा है।
• उन्हें अपना काम करने के खुद प्रयास करने दें,जब तक वो खुद हार नहीं मानते उन्हें किसी तरह की कोई मदद ना दें।
• अपने आसपास साफ सफाई का महत्व समझाएं। अपनी चीजों को ढंग से रखना,अव्यवस्थाओं से शिकायत करना और उन्हें ठीक करना सीखाएं।
• लोगों के बीच उनके तरीके से रहना और नम्रता से झुकना सीखाएं। उन्हें इस बात का महत्व बताये की दुनिया  हम जैसे लोगों से ही बनी है केवल समन्वय करने की बात है।
बच्चे चाहे दूर रहे या पास,उन्हें स्वयं पर आश्रित रहने का मौका दें और जो कभी लड़खड़ा जाएं तो हम तो हैं ही उनके साथ, हमेशा।
अरे ये लिखने लिखाने और बातें करने में मैं भूल ही गयी कि पतिदेव के खाने का टाइम हो चला है और मुझे रसोई में खूब तैयारी करनी है, चलती हूँ और मिलूंगी कभी कुछ कीड़ा आ चला दिमाग में तो शब्दों में पिरो के आपके पास पहुँचा दूंगी।
                              धन्यवाद!!

Monday, June 5, 2017

This 3 Ingredients and 5 Minutes Recipe will Remove Your Facial Hair Forever

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Clean and bright skin enhances your beauty. If you have hair on your face, it looks odd. If you are in proper dressing and style but has facial hair, then it spoils your personality. The hair on mustache looks very bad, and every woman is very conscious about it. Usually, they go for waxing and threading. Because of threading we have cuts on our hands and new hair has thicker roots. On the other hand, waxing is a painful process, and it sticks to fingers and hands.

Today we are going to share such a recipe that consists of just three ingredients and within five minutes you will get rid of facial hair. It is easy to make and time-saving recipe.

Ingredients:

  • 2 tablespoon Lemon Juice
  • 1 tablespoon oatmeal paste
  • 2 tablespoon Honey

Method:

1.  Take oatmeal paste in a bowl.
2.  Add lemon juice and honey in it.
3.  Mix it well and make a paste.
4.  Apply it on wanted area of your face with the help of a brush or use your fingers.
5.  Leave it five minutes and wash with lukewarm water.
Repeat this process two to three times in a week and after one month you will get rid of facial hair forever that looks odd.