Saturday, April 15, 2017

मैं अपने से नीचे लड़के से शादी नहीं करूंगी !!

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शर्मा जी का बेटा M.A पास था। जैसे तैसे उसकी सरकारी नौकरी का जुगाड़ भी कर दिया था अपने दूर के रिश्तेदार को कहलवा कर। अनुज( उनका लड़का) मध्यम कद काठी का सामान्य बुद्धि का लड़का था। चूंकि शर्मा जी के लड़के की नौकरी का जुगाड़ हो चला था तो वो बहु ढूंढने के मिशन पर लग गए। 
रोज़ अलग अलग लड़कीवालों के यहां जाते और चाय नाश्ते के लुत्फ़ उठा कर आ जाते। उनके Parameter पर खरा उतरने वाले लड़की मिल ही नहीं रही थी या यूं कह लो उनके खुले मुँह में दहेज का लड्डू डाल सके ऐसा कोई परिवार नहीं मिल रहा था।
आखिर उनकी तलाश खत्म हुई। गुप्ता जी  की लड़की ,सीमा ,उन्हें पसंद आ गयी। अनुज को भी सीमा पसंद थी। गुप्ता जी इनकम टैक्स विभाग में आला अधिकारी थे और पत्नी फर्स्ट ग्रेड अध्यापिका। दोनो पति पत्नी के सरकारी नौकरी में होने से घर में हो रही पैसो की अच्छी आवक का अनुमान शर्मा जी ने लगा लिया था। सीमा बहुत सुंदर , शालीन और सुलझी हुई लड़की थी। वो भी पोस्ट ग्रेजुएट थी और किसी परीक्षा की तैयारी कर रही थी। लेन देन की बात पहले ही हो गयी थी और बहुत बार्गेनिंग के बाद 15 लाख रुपये तय किये गए। बाकी का खर्चा अलग। 
दोनो पक्षों में शादी की तैयारियां होने लगी। तभी एक दिन शर्मा जी का फ़ोन आया। 
" जी गुप्ता जी,आज का अखबार तो पढ़ा ही होगा आपने। IAS का रिजल्ट आया है। अपने अनुज का डिप्टी कलेक्टर पद पर चयन हुआ है। आपकी पुत्री के कदम बहुत शुभ पड़े हैं। आपसे मिल कर कुछ लेन देन की बात करनी थी। यूँ तो घर की ही बात है पर थोड़ा स्पष्ट कहना चाहूंगा। पहले बात और थी ,आपकी बेटी अब एक उच्च सरकारी अफसर की बीवी बनने जा रही है तो "Standard of Living" भी उसी तरह का होना चाहये। हालांकि हमें कुछ नहीं चाहये पर  ऐसे अगर देखा जाए तो अनुज के लिए 40-50 लाख तक तो कोई भी देने को तैयार हो जाएगा फिर आप तो खुद बहुत बड़े अफसर हैं। जी,आप समझ रहे हैं ना मैं क्या कहना चाह रहा हूँ। अभी शादी हुई नहीं है और लड़कियों की कहां कमी है। जी सीमा बिटिया को प्यार देना। रखता हूँ।"
गुप्ता जी ने बिना कुछ कहे ही फ़ोन रख दिया। आज समाज के सयानों की तस्वीर उनके सामने आ चुकी थी। शादी एक डील की तरह हो गयी थी जहां लड़के की कीमत उसके ओहदे के साथ बढ़ती जाती है। किसी परिवार से रिश्ता जोड़ने की कीमत उस घर से आने वाले दहेज से नापी जाती है। वनिस्पत इस सोच के की एक अच्छी सी घर सम्भाल सकने वाली लड़की होनी चाहिए , वो क्या और कितना अपने साथ लाती है इस मापदंड पर होने वाली शादी का आंकलन किया जाता है। 
अगले दिन गुप्ता जी ने शर्मा जी को एक पत्र लिखा। 
" आदरणीय शर्मा जी, अनुज बेटे को बहुत बहुत बधाई और साथ साथ आपको भी। मुझे लगा मैं अपनी बेटी को शादी करवा के वहां भेज रहा हूँ जहां उसके गुणों का मोल होगा उसके साथ आने वाले पैसों का नहीं। एक और नई बात समझ आयी कि हमारे समाज में लड़के Prize Tag के साथ आते हैं जिनकी कीमत उनके ओहदे के साथ बढ़ती जाती है। माफ़ कीजियेगा मैं सीमा के लिए जीवनसाथी और प्यार देने वाला परिवार ढूंढ रहा हूँ, जो उसके गुणों की कद्र करे और उसे पूरे मन से अपनाये। मेरी बेटी कोई पॉलिसी नहीं है जिसे आपको देकर में जीवन भर उसकी ख़ुशी का प्रीमियम भरता रहूं आपको दहेज चुकाकर। और हां एक खुशखबर आपको भी देनी थी,अपनी सीमा का भी चयन हुआ है, कलेक्टर  के पद पर। और उसने निर्णय किया है वो अपने अधीनस्थ अधिकारी से विवाह नहीं करेगी। आपका समय लिया इसका खेद है।"

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